इंदौर। इस बार इंदौर जिले की 9 विधानसभा सीटों का फैसला नए वोटर्स करेंगे। इंदौर में 14,46, 167 युवा वोटर्स हैं। देखा जाए तो जिले के कुल 27,62,507 वोटर्स में से आधे से ज्यादा वोटर्स युवा हैं। 07,04, 103 मतदाताओं की उम्र 18 से 29 वर्ष के बीच है। ये आंकड़ा कुल वोटर्स 25 प्रतिशत है।
इंदौर में 18 से 19 की उम्र के 94 हजार 18 वोटर्स हैं, जबकि 20 से लेकर 29 की उम्र के वोटर्स की संख्या 6 लाख है। 162 वोटरों की उम्र 100 से ज्यादा है। विधानसभा क्षेत्र – 5 में सबसे ज्यादा वोटर्स होने के कारण वहां बूथों की संख्या भी सबसे अधिक 341 है। इंदौर के कुल मतदाताओं में 13 लाख 96 हजार 525 पुरुष और 13 लाख 65 हजार 871 महिला मतदाता है। विधानसभा- 5वोटर्स के हिसाब से सबसे बड़ी है। यहां 4.13 लाख मतदाता हैं, जबकि विधानसभा – तीन में सबसे कम 1,88,246 मतदाता है। इंदौर की विधानसभा – 4 में महिला मतदाता की संख्या पुरुष से थोड़ी (49) ज्यादा है। इस सीट पर पुरुष मतदाता 120349 है, जबकि महिला मतदाता 120398 है।
युवा वोटर्स की मानसिकता अलग
राजनीति और चुनाव के जानकारों का मानना है कि इस बार ये युवा रोजगार, महंगाई, विकास समेत कई मुद्दे को ध्यान में रखते हुए चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे। संभावना है कि इस वजह से चुनाव नतीजे बड़ा उलटफेर करने वाले होंगे। क्योंकि, राजनीतिक पार्टियों के लुभावने वादे इन्हें कितना प्रभावित करते हैं, इसका खुलासा नतीजों से होगा। कांग्रेस की रणनीति युवाओं के सहारे भाजपा के गढ़ को ध्वस्त करने की है। इंदौर की कई सीटें पिछले कई चुनाव से भाजपा का गढ़ बनी हुई है। दोनों पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में है। भाजपा की कोशिश अपना परंपरागत गढ़ बचाने की है, तो कांग्रेस युवाओं के सहारे उनका गढ़ तोड़ने की है।
इंदौर – 5 में सबसे ज्यादा युवा
शहर के विधानसभा क्षेत्र-5 में युवा वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां वोटर्स की कुल संख्या 04,13,447 हैं। इनमें युवा वोटर्स 2,12,826हैं। करीब 51.4 प्रतिशत युवा हैं। अनुमान है कि ये बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। नए वोटर्स के कारण इस बार नतीजे प्रभावित होने की संभावना है। इन वोटर्स की मानसिकता के बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन इस बात की संभावना है कि वे वादों से प्रभावित नहीं होंगे।
वोटर्स युवा, पर उम्मीदवार बूढ़े
9 विधानसभा सीटों वाले इंदौर की राजनीति अब उम्र के अलग-अलग पड़ाव के बीच उतर आई है। भाजपा ने पुराने विधायकों को ही मैदान में उतारा है। इनमें 6 अनुभवी उम्मीदवारों की उम्र 60 से ज्यादा है और कुछ 70 पार हैं। जबकि, कांग्रेस के युवाओं की फौज इन्हें चुनौती देने वाली है। ये सभी 40 से 50 के बीच हैं। कांग्रेस ने अपना सोच की युवाओं को लेकर बनाया, भाजपा का नजरिया या अनुभव को मैदान में उतारकर अपने गढ़ बचाना है।
युवा वोटर्स की वजह से उन सीटों पर हार- जीत का असर पड़ेगा, जहां पिछले चुनाव (2018) में बहुत कम अंतर था। 2018 के चुनाव में 2 सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत का अंतर 5 हजार से कम था। 5 पांच सीटों में यह अंतर 10 हजार से भी कम रहा। इसमें भाजपा ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। इससे पहले 2008 के विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर जीत का अंतर 10 हजार से कम रहा। इस चुनाव में भी भाजपा को 6 सीटों पर जीत मिली थी।
2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 8 सीटें पर कब्जा जमाया था। इसमें सभी 9 सीटों पर जीत का अंतर 10 हजार से भी ज्यादा का रहा था। भाजपा के रमेश मेंदोला ने तो 91 हजार से ज्यादा के अंतर से जीत का रिकॉर्ड बनाया था। जबकि, 2018 में उनके वोट करीब 20 हजार घट गए। दूसरी सीटों पर भी भाजपा को भारी वोट का नुकसान उठाना पड़ा था।
इंदौर 5 की सीट पर पिछली बार यह अंतर एक हजार के करीब था।