इंदौर।मधुबनी पेंटिंग पर वर्कशॉप एवं प्रतियोगिता क्रिएट स्टोरीज एनजीओ द्वारा बायपास स्तिथ निजी सेंटर में आयोजित किया गया । संस्था अध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया की इस वर्कशॉप में 9 साल से 50 साल तक के 70 कलाकारों ने भाग लिया वर्कशॉप आर्टिस्ट नीता नेमा ने ली एवं प्रतियोगिता का निर्णय सिखा सेठी ने लिया ।
स्कूल कैटेगरी में प्रथम अनन्या नागले एवं द्वितीय पावही ठाकुर रहे एवं अन्य कैटेगरी में प्रथम अनुपम वर्मा , द्वितीय काजल कांबले एवं तृतीय के मोनिका रही।
मधुबनी पेंटिंग पर आर्टिस्ट नीता नेमा ने बताया कोई भी कला न केवल सामाजिक संरचना को दर्शाती है बल्कि धर्म प्रेम उर्वरता के विषयों पर चित्रण के साथ-साथ भूमि की सांस्कृतिक पहचान को भी दर्शाती है । मधुबनी कला के चित्रों से शांति और समरसता का संदेश दिया जाता है।
मधुबनी उत्तरी भारत के बिहार राज्य के एक छोटे से क्षेत्र मिथिला की मधुबनी आर्ट या मिथिला पेंटिंग है । मधुबनी पेंटिंग चित्रकला के रूप में ज्ञान की एक महत्वपूर्ण परंपरा है जिसे मिथिला पेंटिंग के रूप में भी जाना जाता है ।
सदियों पुरानी है कला
मधुबनी पेंटिंग दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग में से एक है यह मिथिला क्षेत्र की वह लोकप्रिय कला है जो वहां के लोगों की रचनात्मकता और संवेदनशीलता को दर्शाती है यह सदियों पुरानी कला उंगलियां ,टहनियां ,ब्रश , पेन, माचिस की तीलियों के साथ प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके बनाई जाती है । जिसे एक आकर्षक ज्योमैट्रिकल पैटर्न की सहायता से बनाया जाता है ।
मिथिला पेंटिंग या मधुबनी पेंटिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित पेंटिंग के रूप में बनी रहेगी क्योंकि यह मुख्य रूप से प्रकृति और हिंदू पौराणिक आकृतियों को दर्शाती है।
पारंपरिक रूप से मधुबनी पेंटिंग के दो रूप है पहला भित्ति चित्र -मिट्टी के दीवार पर बनाई गई पेंटिंग और दूसरा अरिपना – जमीन मिट्टी पर बनाई गई पेंटिंग ।
मधुबनी पेंटिंग में क्षेत्र के अन्य सांस्कृतिक संसाधनों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की काफी क्षमताएं हैं। इसका एक उदाहरण हम जापान में मधुबनी पेंटिंग के इतिहास से जुड़ी एक संग्रहालय से देख सकते हैं। इसके अलावा जापान जर्मनी फ्रांस अमेरिका जैसे देश में मधुबनी लोकप्रियता हासिल कर चुका है।
वर्कशॉप का संचालन निकिता बेस ने किया । यह वर्कशॉप और प्रतियोगिता सभी के लिए निः शुल्क थी ।