एम पी में हुए मतदान ने इस बार चार दशकों का रेकॉर्ड  तोड़ दिया है। यदि पुराना इतिहास देखें तो ज्यादा  मतदान  हमेशा से ही  सरकार परिवर्तन का  कारण बनता आया है।
मध्यप्रदेश में पिछले आठ चुनावों का इतिहास देखेंगे तो साल दर साल वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 75.63 फीसदी वोटिंग हुई थी तो कांग्रेस की सरकार बनी थी। इस बार मध्य प्रदेश में 77.15 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई है।

सबसे पहले बाद अविभाजित मध्यप्रदेश की करते हैं। उस समय मध्य प्रदेश में 320 विधानसभा की सीटें थी। 1985 में 49.79 फीसदी वोटिंग हुई थी, तब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई थी। वहीं, 1990 की बात करें तो प्रदेश में 54.21 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसके बाद सत्ता में बीजेपी आई थी। इस दौरान पांच फीसदी मत बढ़े थे।
वहीं, 1993 की बात करें तो मध्य प्रदेश में 60.17 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसके बाद कांग्रेस सत्ता में आई थी। वोट प्रतिशत में 5.96 फीसदी की वृद्धि हुई थी। 1998 के विधानसभा चुनाव में महज 0.04 फीसदी वोट बढ़ा था। तब पूरे प्रदेश में 60.21 फीसदी वोट पड़े थे। इसके बाद भी कांग्रेस की सरकार आई थी। इस चुनाव में बीजेपी को 119 और कांग्रेस को 172 सीटें मिली थी। वहीं, बीएसपी भी 11 सीटें जीतने में सफल रही थी।
2003 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बंटवारे के बाद 230 सीटें बच गई थीं। इस चुनाव में 7.04 फीसदी वोट 1998 की तुलना में अधिक पड़े थे। वहीं, पूरे प्रदेश में 67.25 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसके बाद बीजेपी सत्ता में आई थी। इस चुनाव में बीजेपी को 173, कांग्रेस को 38 और बीएसपी को दो सीटें आई थी।

2008 के विधानसभा चुनाव में वोट ज्यादा नहीं बढ़े थे। महज 2.53 फीसदी वोट अधिक पड़े थे। कुल 69.78 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसके बाद बीजेपी सत्ता में आ गई थी। बीजेपी को 143 और कांग्रेस को 71 सीटें आई थी। वहीं, बीएसपी भी सात सीट जीतने में सफल रही थी।

2013 के विधानसभा चुनाव में पहली बार 70 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई थी। एमपी में कुल 72.13 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसके बाद बीजेपी सत्ता में आ गई थी। बीजेपी को 165 और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थी। बीएसपी चार सीट जीतने में सफल रही थी।

2018 में मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे अधिक 75.63 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई। कांग्रेस को 109 और बीजेपी को 114 सीटें आई थी। हालांकि बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने के बाद एमपी में बीजेपी की सरकार आ गई थी।

इस बार भी 77.15प्रतिशत हुआ है।जो 2018में हुए 75.630फीसदी से 1.52प्रतिशत ज्यादा है।