ओंकारेश्वर (खंडवा)। आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने आदि शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत दर्शन के लोकव्यापीकरण की विस्तृत योजना को जगजाहिर किया है। मालवा के उज्जैन में श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद अब राज्य शासन का ध्यान निमाड़ के ओंकारेश्वर तीर्थ पर केंद्रीय हो गया है। केंद्र,राज्य सीएसआर फंड और साधु-संतों के सहयोग से लगभग 2200 करोड़ रुपए यहां विभिन्न योजनाओं पर खर्च किए जाएंगे। शासन की योजना है उज्जैन, इंदौर, ओंकारेश्वर और महेश्वर सर्किट पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र बने।
न्यास के आवासीय आचार्य स्वामी वेदतत्वानंद ने विस्तृत प्रजेंनटेशन के माध्यम से स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के मीडिया दल से ओंकारेश्वर में बनने वाले एकात्म धाम की विस्तृत योजना साझा की। अभी तक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, संस्कृति मंत्री और न्यास से जुड़े वरिष्ठ जनों को इस योजना से अवगत कराया गया था। करीब 40 मिनट विभिन्न स्लाइड के माध्यम से अगस्त 2024 तक सम्पूर्ण होने वाली इस योजना की जानकारी दी गई। 50 हजार लोग एक साथ यहां भ्रमण कर सके इस आधार पर सम्पूर्ण योजना बनाई गई है। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी एवं स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल विशेष रूप से उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन संस्कृति विभाग के सहायक संचालक एवं प्रभारी अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र मिश्र ने किया।
108 फीट की प्रतिमा : आचार्य शंकर के बालरूप की 108 फुट ऊंची मूर्ति बेहद दूर से दिखाई देगी। प्रतिमा के लिए प्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों के माध्यम से धातु, मिट्टी और जल एकत्रित किया गया था। एलएनटी कंपनी ने प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया है।
आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान : संस्थान के इस विशाल परिसर में सात केंद्र बनेंगे, जो भारत भर के वास्तु और स्थापत्य कलाओं पर आधारित होंगे। इस विशाल परिसर में आकर पूरे भारत की आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव होगा। सभी केंद्रों को आचार्य शंकर के गुरू और प्रथम चार शिष्यों की स्मृति को समर्पित होंगे।
शंकर संग्रहालय: 108 फुट ऊंची प्रतिमा के निचले भू-भाग पर आचार्य शंकर की महान जीवन यात्रा पर केंद्रित संग्रहालय बनेगा। इसमें आम श्रद्धालुओं और विद्यार्थियों के लिए माया थियेटर सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण होगा, जहां थ्रीडी होलोग्राम एवं अन्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से ब्रह्म, सृष्टि, माया, जीव एवं जगत आदि सिद्धान्तों को कथानक के रूप में प्रस्तुत किया जायेगा। प्रतिमा के ठीक निचले भाग में एक ध्यान केंद्र होगा, जहां गहन मौन में ओंकारेश्वर की ऊर्जा का अनुभव जिज्ञासुजन कर पाएंगे। इस अंदरुनी परिसर की विशाल दीर्घाओं में भारत भर की समस्त कलाओं के जरिए आचार्य शंकर का जीवन चरित्र प्रस्तुत होगा। इनमें देश भर के सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों और कलाकारों का योगदान चित्रों और भित्ति चित्रों में दिखाई देगा।
हाई स्क्रीन थिएटर: यहां बड़ी स्क्रीन पर आचार्य शंकर के जीवन-दर्शन पर आधारित निर्माणाधीन 40 मिनट की फिल्म दर्शकों को दिखाई देगी।
अद्वैत नौका विहार: अद्वैत नौका विहार संग्रहालय के निम्न भूतल में स्थित होगा। नौका विहार नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से आरंभ होकर अन्त भरुच की खाड़ी में समाप्त होगा। यह नौका विहार स्वचलित नौकाओं के माध्यम से होगा। नर्मदा के दोनों तटों पर अद्वैत वेदान्त परम्परा में शंकराचार्य के पूर्ववर्ती और परवर्ती विभिन्न सन्तों/स्थानों को विभिन्न माध्यमों से प्रदर्शित किया जाएगा।
अन्नपूर्णा: संग्रहालय में आने वाले दर्शकों के लिये अन्नपूर्णा में लगभग 300 से 500 लोगों के भोजन की बैठक व्यवस्था भवन के भीतर की जायेगी। भवन के बाहर भी लगभग 500 लोगों की भोजन बैठक व्यवस्था होगी। यह सुविधा और रुचि के अनुसार पारम्परिक एवं आधुनिक शैली दोनों में होगी।
अद्वैत कलाग्राम: देश भर के लोक एवं क्षेत्रीय शिल्पों के प्रदर्शन तथा विक्रय हेतु यह केन्द्र विकसित होगा।
अद्वैत वन : ओंकारेश्वर की हरियाली को और अधिक बढ़ाने की दृष्टि से स्थानीय मौसम और मिट्टी के अनुरूप वृक्षारोपण का प्लान भारतीय उद्यान विशेषज्ञ कर रहे हैं ताकि हर खाली कोने में हरियाली विकसित हो और यह पूरा संस्थान सघन वन से घिरा हुआ दूर से दिखाई दे। सपरिवार आने वाले सामान्य पर्यटकों के लिए भी इस एकात्म धाम में भारत का परिचय देने के लिए बहुत कुछ होगा।
हैंगिंग ब्रिज : ओंकारेश्वर में इस सम्पूर्ण योजना का क्रियान्वयन नर्मदा के दोनों तरफ हो रहा है। अन्नपूर्णा आश्रम के ऊपर गोधड़पुरा इलाके (एनवीडीए गेस्ट हाउस) में अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान स्थापित होगा और नदी के पार मान्धाता पर्वत पर आचार्य शंकर की प्रतिमा स्थापित होगी। श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए दोनों पहाड़ियों के बीच तीसरा ब्रिज स्थापित किया जाएगा। अभी नर्मदा नदी के घाटों को ऊपर से जोड़ने वाला पुराना एवं नया हैंगिंग ब्रिज है।
एकात्म धाम की 5 साल की यात्रा
एकात्मधाम केवल एक निर्माण कार्य नहीं है। यह आचार्य शंकर के अद्वैत वेदांत दर्शन के लोकव्यापीकरण का एक विस्तृत प्लान है, जिसके अंतर्गत नियमित व्याख्यानमाला, शंकर फैलोशिप, युवाओं के लिए अद्वैत जागरण शिविर जैसी गतिविधियां नियमित हैं। अद्वैत क्लब के लिए अद्वैत जागरण शिविर में सहभागिता करने वाले शिविरार्थियों एवं हर जिले से 10-10 सदस्यों के चयन की प्रक्रिया जारी है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान समय-समय पर समस्त योजनाओं एवं विकास कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं।
– डॉ. शैलेन्द्र मिश्र
सहायक संचालक, संस्कृति विभाग
ओंकारेश्वर आचार्य शंकर की ज्ञान स्थली है। यह वही स्थान है, जहां से अद्वैत दर्शन की शिक्षा प्राप्त करके उनके जीवन की महायात्रा आरंभ हुई थी। मूल रूप से उसी अद्वैत दर्शन के लोकव्यापीकरण की दिशा में एकात्मधाम को वैश्विक स्तर पर एक विराट धुरी के रूप में स्थापित किया जा रहा है। आचार्य शंकर के समय ओंकारेश्वर अद्वैत वेदांत का प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्र रहा है, जहां केरल से आठ वर्ष की उम्र में शंकर आए थे। गुरू गोविंदभगत्पाद के निकट उन्होंने तीन वर्ष तक अध्ययन किया था। एक बार फिर ओंकारेश्वर की भूली बिसरी सनातन प्रतिष्ठा लौट रही है।
– स्वामी वेदतत्वानंद,
आवासीय आचार्य,
आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास