मुंबई। कविता मानवता को जोड़ने का काम करती है। माँ की लोरी में भी होती है कविता। कविता समाज को सकारात्मक सुधार और बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देती है’। यह विचार प्रख्यात कवि, कथाकार, इतिहासवेत्ता व पूर्व आईएएस डॉ संजय अलंग ने चित्र नगरी संवाद मंच द्वारा आयोजित उनके कविता पाठ व कवयित्री सम्मेलन में व्यक्त किए।
इस अवसर पर कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि आज हम उस कवि को सुन रहे हैं जो एक दक्ष प्रशासक तो है पर उनके भीतर धड़कता है एक कोमल मन। वे जीवन के क्रंदन और स्पंदन के कवि हैं।
इस मौके पर डॉ संजय अलंग ने अपनी चर्चित कविता ‘बंटे रंग’ जो महाराष्ट्र के पाठ्यक्रम में भी है के साथ माध्यम, ‘गुलेल, एक टुकड़ा आसमान और ‘बहन का साइकिल सीखना’ जैसी कविताओं का पाठ कर उपस्थित संवेदनशील रचनाधर्मियों को मुग्ध कर दिया।
उसके बाद आयोजित कवयित्री सम्मेलन जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री व विविध भारती की पूर्व कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती कमलेश पाठक ने की। संचालन डॉ मधुबाला शुक्ल ने किया
इसमें डॉ प्रमिला शर्मा, डॉ अलका अग्रवाल, रोशनी किरण, दमयंती शर्मा, आशु शर्मा, आभा दवे, रीमा राय सिंह, माया मेहता, रेणु शर्मा, अम्बिका झा, सीमा अग्रवाल, शोभा स्वप्निल, सविता दत्त, प्रज्ञा पद्मजा आदि ने रचना पाठ किया। कार्यक्रम के संयोजक कवि, मंच संचालक देवमणि पांडेय थे।
