संसद का पाँच दिन का विशेष सत्र आमंत्रित करने की सरकार की पूरी योजना क्या पंक्चर हो गई ? जिस गुप्त एजेंडे को लेकर विशेष सत्र का आयोजन किया गया था क्या वह पूरा होता नज़र नहीं आ रहा था और इसलिए सत्र को एक दिन पहले ही समेटना पड़ गया ? कारण चाहे जो भी रहा हो, मानकर यही चला जाना चाहिए कि केवल संसद का सत्र समाप्त हुआ है, सरकार का गुप्त एजेंडा अभी क़ायम है और वह लोकसभा चुनावों तक बना रहने वाला है ! सुनिए वरिष्ठ संपादक श्रवण गर्ग का यह संवाद, (साभार)