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सेलम । साल 1967 से सेलम – तमिलनाडु कीअर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देने वाले साबुदाने के लिए सेलम को जी आई टैग मिला है।उल्लेखनीय है कि में भारत में 90% से अधिक साबूदाना सलेम क्षेत्र में उत्पादित किया जाता है।
और इसका अधिकांश हिस्सा सागोसर्व के माध्यम से विपणन किया जाता है, जबकि बाकी प्रत्यक्ष बिक्री के माध्यम से हैं।
साबूदाना उत्पादन के क्षेत्र में विगत चार दशकों से अग्रणी सच्चामोती, चक्र तथा सच्चासाबु जैसे प्रसिद्ध एगमार्क साबूदाना के निर्माता साबु ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के चैयरमेन श्री गोपाल साबु ने हर्ष व्यक्त करते हुए बताया कि अंतर्राष्ट्रीय रूप से भारत में सेलम (तमिलनाडु) को साबूदाना के जियोग्राफिकल इन्डिकेशंस (भौगोलिक संकेत) के लिये संरक्षण की मान्यता मिलने से सेलम जिला और आसपास के इरोड, नामाक्कल और धर्मपुरी बेल्ट में करीब 650 से अधिक साबूदाना – स्टार्च इकाइयों के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, जमीकंद के किसानों को कंद का अच्छा भाव मिलेगा और साथ ही सम्बन्धित लाखों श्रमिकों को उनका दैनिक रोजगार भी अच्छा मिलेगा। इस सब से भी महत्त्वपूर्ण साबूदाना उपभोक्ताओं में भी सेलम के साबूदाना के प्रति विश्वास बढ़ेगा ।
श्री साबु ने बताया कि सेलम में साबूदाना कसावा कंद के निकाले हुए रस से सीधा बनाया जाता है। कसावा कंद में लगभग 25 से 35% स्टार्च पाया जाता है। ग्लुटेनमुक्त शाकाहारी भोजन के अतिरिक्त साबूदाना का उपयोग विभिन्न उद्योगों में जैसे कागज, निर्माण, कपड़ा, कॉस्मेटिक, दवा, खनन और शराब आदि शामिल हैं। वहीं सेलम सागो एन्ड स्टार्च उत्पादक संघ के महासचिव श्री मदीवनन ने बताया कि साबूदाना के लिए मिले इस जीआई टैग के मिलने से सेलम क्षेत्र के किसानों और साबूदाना उत्पादकों को बहुत बढ़ावा मिलेगा जो भारत में कसावा कंद से साबुदाना उत्पादन शुरु होने के समय से इस व्यवसाय में हैं। सेलम जिले में कसावा कंद के लिए लगभग 35,000 हेक्टेयर भूमि का उपयोग होता है और 25-30 टन प्रति हेक्टेयर की फसल होती है, जो वैश्विक औसत उत्पादन 10 टन/हेक्टेयर से कहीं अधिक है। तमिलनाडु के सेलम जिले में पूरे वर्ष अच्छा कच्चा माल, सस्ता श्रम और दिन की लंबी अवधि के लिए अच्छी धूप मिलती है जो अच्छे साबूदाना के उत्पादन में मदद करता है।