स्पेशल टास्क फोर्स (एटीएफ) ने ६ दिसंबर को दर्ज कीFIR
इंदौर। आठ साल बाद एक बार फिर व्यापम घोटाले से जुड़ी एक एफआईआर ने पूरी भाजपा को हिलाकर रख दिया है। यह एफआईआर स्पेशल टास्क फोर्स (एटीएफ) ने ६ दिसंबर को दर्ज की थी । पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता दिग्विजयसिंह की २०१४ में की गई शिकायत के आधार पर आठ साल बाद इस एफआईआर को दर्ज करने को लेकर कई सवाल खड़े हो गये हैं। चुनावी साल में एक बार फिर व्यापम घोटाले के जिन्न को जिंदा करने को लेकर मंत्रियों सहित भाजपा संगठन के कई दिग्गज नेता इस एफआईआर में नाम होने की वजह से भड़क गये हैं। दैनिक दोपहर अखबार ने लिखा कि सबसे बड़ा सवाल इस एफआईआर की टाइमिंग को लेकर है।
इस शिकायत में मेडिकल कॉलेज में प्रवेश व्यापम के अधिकारियों, सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं के सहयोग से फर्जी तरीके से एडमिशन लेने का आरोप है।
व्यापम घोटाले में पहले भी कई ई दिग्गजों के नाम आने को लेकर लंबे समय तक भाजपा में ही खींचतान मची रही उस समय संघ प्रमुख रह चुके सुदर्शन से लेकर सुरेश सोनी और तात्कालिन जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा तक के नाम आ चुके थे। हालांकि इस मामले में सुरेश सोनी का कुछ नहीं हुआ पर उनकी बदनामी जरुर हो गई और इसी कारण भाजपा के ही नेता कह रहे हैं कि प्रदेश में व्यापम को फिर से जिंदा कर विरोधियों को निपटाने का षडयंत्र रचा जा रहा है। दरअसल जिस मामले में प्रदेश की एटीएफ पुलिस ने
मामला दर्ज किया है उसकी जांच पूर्व में सीबीआई भी कर चुकी है। फिर भी एटीएफ ने मामला दर्ज कर लिया। यही नहीं जिस आवेदन की के जाँच के बाद मामला दर्ज किया है, उसकी जांच करने में पूरे आठ साल लग गये। इसके बाद भी इस मामले में पूरे नामों का खुलासा नहीं किया गया। इसमे कुछ भाजपा नेताओं को तात्कालिन मंत्री शब्द का उपयोग किया गया है। यही नहीं अब इस मामले में हजारों आवेदन ए है तो आखिर क्या वजह है कि इस आवेदन पर ही प्रकरण दर्ज किया गया। मामले की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
इसकी वजह है कि दिग्विजयसिंह के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज हुआ और उसके अगले दिन ही यह मामला दर्ज कर लिया। आश्चर्य की बात यह है कि भाजपा की ही सरकार ने भाजपा नेताओं के नाम चुनावी साल में दर्ज किये जाने को लेकर संगठन भी आश्चर्यचकित है। बल्कि संगठन के बड़े नेता बेहद नाराज है और इसकी शिकायत वे दिल्ली तक कर चुके हैं। इस मामले में पूछताछ पर पता लगा है कि यह मामला सीएम हाउस नी में पदस्थ एक बेहद ताकतवर अफसर के निर्देश पर दर्ज र किया गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा नेताओं के शामिल होने पर गंभीर आरोप दिग्विजयसिंह द्वारा हे लगाये गये थे। इस मे वीडी शर्मा को भी घेरा गया था। न इसके बाद वीडी शर्मा ने मानहानि का मामला दर्ज किया था। इस मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विपिन माहेश्वरी जिनके पास दूरसंचार के अलावा एटीएफ का भी प्रभार है उन्होंने व्यापम घोटाले को लेकर दिग्विजयसिंह के आठ वर्ष पुराने आवेदन पर ६ दिसंबर को एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर में शिवराज सरकार के मंत्री और भाजपा नेताओं की मिलीभगत का उल्लेख है और इसी कारण वीडी शर्मा इन दिनों आगबबूला हो रहे हैं। इधर माहेश्वरी से पूछताछ करने पर उन्होंने सफाई दी है कि मुख्यमंत्री हाउस के एक बड़े अधिकारी के फोन पर यह एफआईआर दर्ज की गई है।