इंदौरः आखिरकार यह सिद्ध हो ही गया कि नगर निगम ने वाहवाही लूटने के नाम पर आधे-अधूरे मालवा मिल ब्रिज का लोकार्पण करवाया था। ब्रिज निर्माण में हुई गड़बड़ियों और आधे-अधूरे काम को लेकर नईदुनिया में समाचार प्रकाशित – होने के बाद निगम के जिम्मेदारों की नींद खुली और उन्होंने ब्रिज की सुध ले ही ली।ब्रिज के अधूरे कामों को – पूरा करने के लिए बुधवार दोपहर निगमकर्मी ब्रिज पर पहुंचे।
ठेकेदार एजेंसी ने उसे सुधारना शुरू किया। फुटपाथ के बीच बनी नालियों क़ो सरिये लगाकर बंद किया जा रहा है। ब्रिज पर जहां-जहां रैलिंग नहीं लगाई गई है, वहां लोहे की चद्दरें लगा दी गई हैं।
काम कर रहे कर्मचारियों के मुताबिक रैलिंग आते ही लोहे की चद्दरें हटाकर रैलिंग लगा दी जाएगी। इसके अलावा भी कई काम हैं जो अधूरे हैं, उन्हें भी पूरा किया जाएगा।
शुरुआत से ही मालवा मिल ब्रिज विवादों
दो अक्टूबर को लोकार्पित होने के बाद से ही मालवा मिल ब्रिज विवादों में है। छह करोड़ रुपये की लागत के इस ब्रिज को नगर निगम ने 100 दिन में तैयार करने का दावा किया था लेकिन इसे तैयार होने में 180 से ज्यादा दिन लग गए। यह दावा भी था वर्षाजल इस पर ठहरेगा ही नहीं, कि ब्रिज ऐसे बनाया गया है कि वर्षा जल इस पर ठहरेगा ही नहीं lलेकिन लोकार्पण के 36 घंटे बाद ही निगम के इस दावे की हवा निकल गई। वर्षाजल जमा होने से ब्रिज पर तालाब बन गया। देखे चित्र :
