INDORE। भारतीय जनता पार्टी के इंदौर एक से प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय ऐसे प्रत्याशी है जो आज तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं।उन्होंने 6चुनाव लडे है और सभी जीते है।वे इस बार अपनी जीत को एक लाख पार के नारे के साथ मैदान में है।

इसके लिए उन्होंने हर कार्यकर्ता को  नारा दिया  और सभी को कहा गया है कि बड़ी जीत चाहिए, इंदौर में जीत एक नंबर होना चाहिए।

इसके पहले लड़े गए कैलाश विजयवर्गीय के चुनाव का इतिहास

कैलाश विजयर्गीय साल 1990 से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, वह लगातार 6 चुनाव लड़े और जीते। इस दौरान उनकी जीत का रिकार्ड इस तरह रहा-

1990 में- विधानसभा चार से इकबाल खान को 25602 वोट से हराया
1993 में- विधानसभा दो में पंडित कृपाशंकर शुक्ला को 21062 वोट से हराया
1998 में- विधानसभा दो में रेखा गांधी को 20273 वोट से हराया
2003 में- विधानसभा दो में अजय राठौर को 35911 वोट से हराया
2008 में- विधानसभा महू में अंतर सिंह दरबार को 9791 वोट से हराया
2013- विधानसभा महू में अंतर सिंह दरबार को इस बार 12216 वोट से हराया।
विजयवर्गीय की सबसे बड़ी और छोटी जीत
उनकी सबसे बड़ी जीत वोटों के लिहाज से साल 2003 में हुई जब कांग्रेस के दस साल के शासन को हराकर बीजेपी उमा भारती के नेतृत्व में सत्ता मे आई थी, तब यह जीत 35911 वोट की हुई थी। वहीं सबसे छोटी जीत साल 2008 में हुई जब वह महू गए थे और अतंरसिंह दरबार को 9791 वोट से हराया था।
6 चुनाव में दो बार जिले में सबसे बड़ी जीत हासिल कर सके-
विजयवर्गीय इन छह चुनावों में दो बार जिले में सबसे बड़ी जीत हासिल कर सके हैं। साल 1990 में जिले में विधानसभा चार में इकबाल खान से उनकी 25602 वोट की जीत सबसे बड़ी जीत थी, तब दूसरे नंबर पर जिले में कांग्रेस के अशोक शुक्ला थे, वह विधानसभा पांच से 18472 वोट से जीते थे।
इसके बाद साल 1998 में विधानसभा दो में रेखा गांधी से उनकी 20273 वोट की जीत सबसे बड़ी जीत थी।

इस बार का गणित

इंदौर विधानसभा एक में अभी 3.63 लाख मतदाता है। बीते चुनाव में यहां 3.29 लाख मतदाता थे और 69 फीसदी यानि 2.28 लाख ने वोट डाले थे। बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता को 1.05 लाख (46.66 फीसदी) और कांग्रेस के संजय शुक्ला को 1.13 लाख (50.24 फीसदी) वोट मिले। कांग्रेस 8163 वोट से चुनाव जीती थी।  इस बार चुनाव में 3.63 लाख मतदाताओं में 70 फीसदी वोटिंग होती है तो 2.54 लाख वोट होंगे और एक लाख जीत के मिशन के हिसाब से विजयवर्गीय को करीब 1.75 लाख वोट चाहिए। यानि डले हुए 70 फीसदी वोट का 68 फीसदी हिस्सा। वहीं कांग्रेस को 75 हजार वोट के करीब समेटना होगा, तब जाकर एक लाख की जीत का लक्ष्य पूरा होगा।