मुंबई। ‘जीवन की विकट और विषम परिस्थतियों में भी कॉमरेड सुरेश भट्ट ने अपनी राजनीतिक विचारधारा का साथ नहीं छोड़ा।वे ताउम्र वामपंथी रहे और आम जन की लड़ाई, मानवाधिकारों की रक्षा पूरी ईमानदारी के साथ करते रहे। चट्टानी संकल्प और बागी सोच ने उन्हें घर परिवार से तो काट दिया, पर वे तकलीफों के बावजूद समाज के जागरूक सिपाही बने रहे। बहुत मुश्किल होता है जिंदगीभर किसी प्रतिबद्ध राजनीतिक विचारधारा के साथ जीना।’
यह विचार कथाकार,पत्रकार हरीश पाठक ने ’13वीं कॉमरेड सुरेश भट्ट स्मृति व्याख्यानमाला’ में व्यक्त किए। वे कार्यक्रम के अध्यक्ष थे। अभिनेत्री, कवयित्री और सुरेश भट्ट की पुत्री असीमा भट्ट के संयोजन में कॉमरेड सुरेश भट्ट फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस समारोह की शुरुआत अस्मिता थियेटर ग्रुप के साथियों द्वारा शैलेन्द्र के लिखे जन गीत से हुई। उसके बाद सुरेश भट्ट के जीवन, उनके संघर्ष पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री दिखाई गई। आयोजन कई सत्रों में था जिसमें अंश पाठ वीणा मेहता ने किया। गायन डॉ शैलेश श्रीवास्तव व सत्यम आनन्द जी ने व काव्य पाठ दीप्ति मिश्र, मालती जोशी फाजली व अजय रोहिल्ला ने किया।
लेखिका व निर्देशक सीमा कपूर ने कहा ‘सुरेश जी के बारे में सुनकर मुझे अपना अतीत याद आ गया। मैं भी कभी लाल झंडा लेकर चलती थी। अच्छा लगा कि आज उनकी बेटी उनकी याद को अक्षुण्ण बनाए हुए है।’ डॉ भाग्यश्री वर्मा ने कॉमरेड शब्द की उत्पत्ति के साथ एक मार्मिक कविता के जरिए सुरेश भट्ट की जीवन यात्रा को रेखांकित किया। अभिनेता, कवि विष्णु शर्मा के काव्य पाठ से समारोह का समापन हुआ। कवि देवमणि पांडेय ने संचालन किया व आयोजन सान्निध्य अरविंद गौड़ का था।
खचाखच भरे सभागार में अभिनेता सुशांत सिंह, कॉमरेड सुबोध मोरे, डॉ राम बक्ष, कमलेश पाठक, डॉ मधुबाला शुक्ल, डॉ अनिल गौर, अर्चना जौहरी, रजिया रागिनी, प्रदीप गुप्ता, कमर हजीपुरी, नीलांजना किशोर सहित कला, साहित्य, संस्कृति, फिल्म व रंगमंच की कई मशहूर हस्तियां सभागार में उपस्थित थीं।
