इंदौर। मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की बहुत कमी हो जाती है। यदि उन्हें ऑस्टियोपरोसिस भी है तो उनकी हड्डियां चॉक की तरह नाजुक हो जाती है और सिर्फ हल्की-सी चोट लगने पर भी हड्डी के टूटने का खतरा होता है। इनकी मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती है इसलिए एक फ्रैक्चर होने पर मल्टिपल फ्रैक्चर होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।

इस स्थिति में महिलाओं को परिपेराटाइट नामक एक इंजेक्टेबल ड्रग दिया जाता है। इसे फ्रिज में रखना होता है और हर रोज इसका एक इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे हड्डियां मजबूत होती है। इस ड्रग का एक महीने का डोज़ करीब सात हजार रुपए का पड़ता है यानि हर रोज 233 रुपए का एक इंजेक्शन लगाना होता है। हमने रिसर्च कर पता किया कि दवाइयों में ही इस्तेमाल होने वाला पेंटॉक्सिफाइलिन नामक ड्रग मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपरोसिस से पीड़ित महिलाओं की हड्डियों को मजबूत करने में बिल्कुल परिपेराटाइट की तरह ही काम करता है। इसे गोली के रूप में हर रोज लेना होता है और जिसकी कीमत सिर्फ 2 रुपए हैं।

आयराकॉन 2022 की 37वीं एनुअल नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट के चीफ साइंटिस्ट डॉ नैवेद्यो चट्टोपाध्याय ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फ़िलहाल इस ड्रग का फेज 2 ट्रायल एम्स दिल्ली में चल रहा है, जहाँ 3 पेशेंट ग्रुप पर इसकी जाँच की जा रही है। एक ग्रुप को परिपेराटाइट के इंजेक्शन दिए जा रहे हैं, दूसरे ग्रुप को पेंटॉक्सिफाइलिन के 400 और 800 मिलीग्राम के डोज़ दिए जा रहे हैं और तीसरे ग्रुप को ऐसी कोई दवाई नहीं दी जा रही है। इस ड्रग ट्रायल में यदि पेंटॉक्सिफाइलिन पास हो जाता है तो हम सरकार से निवेदन करेंगे कि इसके मल्टीसेंट्रिक फेज 3 ट्रायल के साथ ही इसे आम लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका फायदा मिल सकें।

*अलग-अलग रूमेटोलॉजिकल बीमारियों के लक्षण और निदान पर हुई चर्चा*
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. आशीष बाडिका ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन 450 रिसर्च पेपर प्रेजेंट किए गए। इनमें से सबसे अच्छे 12 रिसर्च पेपर्स को चार हॉल्स में स्टेज पर प्रेजेंट किया गया। रविवार को ऐसे ही टॉप नौ पेपर्स का प्रेजेंटेशन होगा।

कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन ऑस्टियोपारोसिस पर खास सेशन हुआ। साथ ही जोग्रंस सिंड्रोम के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इसमें मरीज की आँखों में आंसू बनाने वाली ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती और मुंह में लार भी पर्याप्त मात्रा में नहीं बनती है। इससे मरीज को लगातार बात करने में भी कठिनाई होने लगती है। डॉ बाडिका ने कहा कि एक सेशन वास्कुलाइटिस पर हुआ, जो एक जानलेवा ऑटोइम्यून डिसीज़ है। इसमें मरीज को महीनों बुखार रहता है और शरीर पर लाल दाने होने लगते हैं। अक्सर जनरल फिजिशियन इसे आम एलर्जी समझ कर इसका इलाज करते रहते हैं और बीमारी फैलकर मरीज की किडनी और लिवर जैसे अंगों को भी प्रभावित करके जानलेवा रूप ले लेती है। इस बीमारी की सही समय पर पहचान करने के लिए मरीजों के साथ ही जनरल फिजिशियन को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। स्पोंडीलों आर्थराइटिस पर हुए सेशन में बताया गया कि इस बीमारी में पीठ में दर्द हमेशा सोते वक्त होता है क्योंकि जब तक हम एक्टिव रहते हैं तब तक मांसपेशियों में दर्द करने वाला फ्लूइड जमा नहीं होता है पर स्थिर होने के बाद यह फ्लूइड जमा होकर बहुत तेज़ दर्द देने लगता है।

जापान में सभी नागरिकों को सरकार देती है इंश्योरेंस
जापान में हेल्थकेयर सिस्टम बहुत मजबूत है। वहां सभी नागरिकों का गवर्मेंट हेल्थ इंश्योरेंस होता है, जिसमें इलाज का 80 से 90 प्रतिशत खर्च सरकार देती है और नागरिकों को सिर्फ 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा देना होता है। पर्याप्त मात्रा में अस्पताल होने के कारण लोगों को इलाज भी काफी आसानी से मिल जाता है। यह बात जापान से आए रूमेटोलॉजी असोसिएशन के एशिया पैसफिक प्रेसिडेंट टॉम ताकेउची ने कहीं। वे आगे कहते हैं कि जापान में रूमेटोलॉजी के प्रति जागरूकता लाने के लिए पिछले 50 सालों से पेशेंट अवेयरनेस ग्रुप चल रहे हैं। अब तो वहां ऐसे करीब 50 हजार समूह काम करते हैं, जो आम लोगों, मरीजों और सरकार को भी जागरूक करने में अहम भूमिका निभाते हैं इसलिए वहां की सरकार भी रूमेटोलॉजिकल बीमारियों के प्रति अधिक सवेंदनशील है।