इंदौर। श्री शिव महापुराण कथा के मर्मज्ञ पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा है कि फिल्मों और नाटक ने लोगों को भगवान और मंदिर से दूर कर दिया था लेकिन शिव महापुराण कथा ने लोगों को वापस मंदिर भेज दिया । हमारे देश में कोरोना के संक्रमण काल से पहले लोग एक साल में जितने भगवान शिव के अभिषेक करते थे , अब संक्रमण काल के बाद उससे दोगुने अभिषेक हो रहे हैं ।
पंडित मिश्रा यहां दलाल बाग में विधायक संजय शुक्ला और उनके मित्र मंडल के द्वारा आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिवस में श्रद्धालु जनों को कथा का श्रवण कराते हुए जीवन के लिए मार्गदर्शन दे रहे थे ।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में फिल्म और नाटक ने लोगों को मंदिर से दूर कर दिया था लेकिन जब से शिव महापुराण कथा शुरू हुई है, तब से बड़ी संख्या में लोग भगवान शिव के मंदिर में जाने लगे हैं । हर व्यक्ति भगवान शिव को एक लोटा जल और एक बिल्वपत्र चढ़ाने के लिए पूरे मनोभाव से जाता है । कोरोना का संक्रमण काल आने से पहले व्यक्ति पूरे साल में एक बार भगवान शिव का अभिषेक करता था । जब से यह संक्रमण काल आया तो उसके बाद में अब लोग पूरे साल में दो बार या उससे ज्यादा शिवजी का अभिषेक करने लगे हैं ।
वर्तमान में घर-घर में होने वाले कलह की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि घर घर की कहानी होती है कि सास से बहू परेशान है और बहू से सास परेशान है । इसमें न तो सास बुरी है ना बहु बुरी है । बस समय का चक्र बुरा है ।। जरूरत इस बात की है कि सास भी थोड़ा संयम रखें और बहू भी थोड़ा ध्यान दें । इन दोनों के साथ में रहने से दोनों के जीवन में बहुत सुख है । घर में शांति हमें ही लाना होगी । कोई बाबा या संत पुडिया देकर आपके घर में शांति नहीं ला सकता है ।
उन्होंने भक्तों से कहा कि जीवन का बुरा समय चौराहे के रेड सिग्नल की तरह होता है । जिस तरह हम रेड सिग्नल पर अपनी गाड़ी रोक लेते हैं, उसी तरह से बुरे समय में भी यदि हम शांति रख लेंगे तो वह समय निकल जाएगा और ग्रीन सिगनल में तेजी से आगे बढ़ सकेंगे ।
महाकाल के प्रकट होने की कहानी
भगवान महाकाल के प्रकट होने की कहानी सुनाते हुए उन्होंने कहा कि एक 5 साल के बच्चे के विश्वास का प्रतिफल देने के लिए भगवान शिव यहां महाकाल के रूप में प्रकट हुए । यह दुनिया का एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां पर भगवान के नयन , चेहरा, मूंछ बनाई जाती है । उज्जैन के राजा चंद्रसेन की कहानी सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान शिव के मंदिर की चौखट की पूजा करते हुए उन्हे शिवजी के द्वारपाल मणिभद्र ने एक मणि दिया था । जब द्वार की पूजा करने पर उन्हें इतना कुछ मिल सकता है तो फिर शिवजी की पूजा करने वाले भक्तों को जीवन में क्या नहीं मिल सकता ।