इंदौर। इंदौर में आज नो कार डे मनाया गया। सरकारी अधिकारी अपनी ,सरकारी कार छोड़ कर रिक्शा, सायकल आदि से अपने कार्यालय पहुंचे। उनके इन वाहनों से आने जाने के विडियो, फोटो, सोशल मीडिया पर वायरल किए गए। जैसे कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली हो। लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में इस अभियान से कम भागीदारी नहीं होने से एक अच्छा अभियान फ्लाप हो गया।
महापौर ने 10 दिन पहले “नो कार डे”मनाने के लिए आह्वान किया था। आज इसे मनाया जाना था। इस दिवस को मनाने का ऐलान तो किया गया परंतु तैयारी कागजों के बाहर ही नहीं निकल पाई। परिणाम यह हुआ कि कई क्षेत्रों में मुख्य मार्गों पर कारों के चलने का क्रम कम रहा पर कई क्षेत्रों में कारें यथावत चलती रहीं।
निश्चित रूप से एक अच्छा प्रयास राजनैतिक लापरवाही और प्रचार के अभाव में मात खा गया।
इस प्रयास को करने के पहले शहर के संगठनों को भी नहीं जोड़ा गया और न ही कोई प्रचार किया गया।
लोक परिवहन की भी अतिरिक्त व्यवस्था कहीं नहीं दिखी। ई रिक्शा के भरोसे ही कई जगहों पर यातायात चलता रहा। केवल प्रशासनिक अधिकारी अपने घर से प्रचार के लिए पैदल निकल पड़े और बसों से कार्यालयों पर पहुंचे। कुछ जगहों पर अधिकारी स्कूटर से कार्यालय आते देखे गए।
यदि महापौर इस ऐलान के साथ ही शहर के जन संगठनों को जोड़ने के साथ ही व्यापारियों को भी जोड़ते तो शायद यह एक अच्छा प्रयास सफल हो सकता था।दोपहर 3 बजे बाद हर दिन जैसी स्थिति दिखने लगी।
नगर निगम आयुक्त ने भी नागरिकों से अपील की थी कि आज कार का उपयोग न करें मगर शहर में सुबह से ही कारें चलती देखी गई वहीं कई चौराहों, सड़कों के अलावा पेट्रोल पम्पों पर भी कारें दिखीं।
नो कार डे अभियान में शहर पार्षद में कहीं भी ऐसा प्रचार प्रसार नहीं किया गया जिससे शहर के नागरिक इस अभियान में जुड़ साथ सकें। किसी भी सामाजिक-धार्मिक, शैक्षणिक भी नो कार डे को लेकर महापौर पुष्यमित्र और व्यापारिक संगठन की सहभागिता भी अभियान मेंनहीं देखी गई। महापौर यदि सभी पार्षदों और भाजपा नेताओं को भी इस अभियान में जोड़ते तो सफलता जरूर मिलती। साथ ही स्कूल, कालेज के छात्र-छात्राओं को भी अभियान से नहीं जोड़ा गया। सुबह से ही शहर में कारें दौड़ती रहीं। लोक परिवहन के वाहनों की भी व्यवस्था पर्याप्त नहीं थी। कई अधिकारी लोक परिवहन वाहनों में जरूर बैठे लेकिन इनमें सिटी बस सहित ई रिक्शा व अन्य वाहनों में ओव्हर लोडिंग भी थी। ऐलान किया गया था कि एआईसीटीएसएल कम्पनी द्वारा चलाई जाने वाली साइकिलों की व्यवस्था भी शहर में अतिरिक्त रहेगी।
1800 साइकिलें उपलब्ध करवाने की बात कही गई थी। इसी के साथ सभी मार्गों पर सिटी बस भी चलाई जाएंगी मगर सुबह से ही लोगों को न तो पर्याप्त लोक परिवहन मिले, न ही साइकिलें चलाने को मिलीं। आम नागरिकों में नो कार डे को लेकर कोई जागरुकता नहीं दिखा। महापौर भार्गव ने सिर्फ ऐलान कर दिया था और इसके पश्चात कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया गया जिससे एक अच्छा प्रयास लापराही की भेंट चढ़ गया।
सरकारी कर्मचारी भी अभियान से दूर रहे
सरकारी महकमे के लोगों को भी आज नो कार डे मनाने का फरमान जारी किया गया था लेकिन कई विभागों में कर्मचारी- अधिकारी कार से ही दफ्तर पहुंचे। इसी तरह बाजारों में भी कारें पर्याप्त संख्या में देखी गईं। दोपहर बाद शहर में अन्य दिनों की तरह ही यातायात जाम हो सकता है।