उनकी उपलब्धियों के खाते में कई पैचीदे मामलों के हल दर्ज

धार से छोटू शास्त्री की रिपोर्ट

धार। अधिकारियों के तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है। इंदौर संभाग के कमिश्नर के रूप में दीपक सिंह का करीब डेढ़ साल का कार्यकाल अच्छे प्रशासक और बेहतर प्रशासनिक कार्यशैली के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इंदौर संभाग का उनको दीर्घ अनुभव रहा और उन्होंने अपने व्यक्तित्व और कार्यशैली से सबको प्रभावित किया। खरगोन जिपं सीईओ, धार जिपं सीईओ, इंदौर आईडीए सीईओ, धार कलेक्टर, बुरहानपुर कलेक्टर इंदौर संभाग आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल में कई मिसाल पेश की। कुशल प्रशासक के रूप में दीपक सिंह का कार्यकाल और भूमिका को न केवल प्रशासनिक महकमा बल्कि इंदौर संभाग के नागरिक भी सदैव याद रखेंगे।
बतौर कमिश्नर दीपक सिंह ने पीथमपुर के कचरा निपटान में जन आक्रोश को थामने के लिए लगातार बैठकें की और जनता से संवाद स्थापित किया। जब सरकार एवं प्रशासन से आम जनता का भरोसा उठ रहा था तब दीपक सिंह ने कहा कि मैं वहीं बैठूंगा, जब तक कचरा जलेगा। इस एक वाक्य ने आमजन में भरोसा पैदा किया और लोग भी मान गए कि कचरा निपटान को लेकर जो भ्रम फैलाया जा रहा है उसमें दम नहीं। उस दिन रामकी के गेट पर बैठे और इस देश और प्रदेश व्यापी समस्या का मानो चुटकियों में निपटारा कर दिया।
धार में कलेक्टर, जिपं सीईओ रहने के कारण नर्मदा पट्टी का असंतोष भी उन्होंने दूर करने में प्रभावी भूमिका निभाई। मेधा पाटकर जब भूख हड़ताल पर बैठी तब बातचीत का रास्ता निकालने के लिए दीपक सिंह ने दिल्ली और मुम्बई के सूत्र निकाले। मेधा पाटकर को भूख हड़ताल से उठाकर और उन्हें मनाने में सफलता हासिल कर दीपक सिंह ने न केवल सरकार को संकट में आने से बचाया बल्कि सरकार और सरकार के मुखिया के सामने अपनी बेहतर छवि भी पेश की।
धार जैसे संवेदनशील शहर के इमामबाड़े मामले को भी बड़ी चतुराई से निपटाया। जबकि, एक समय तो यह लगा था कि इमामबाडा मामला साम्प्रदायिक विवाद न खडा कर दे। किन्तु दीपक सिंह ने उसे भी कानूनी जामा पहनाकर जिस तरह से हैंडल किया वह भी कुशल प्रशासनिक दक्षता का बेजोड़ उदाहरण है। धार जैसे संवेदनशील शहर में दोनों संप्रदायों बगैर वैमनस्यता लाए इस मामले को अच्छे से समाप्त करना उनके प्रशासनिक करियर के लिहाज से बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
इंदौर संभाग में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के दौरे भी निर्विघ्न सम्पन्न करवाए। इसी प्रकार इंदौर संभाग में झांकी के विसर्जन जुलूस के पूर्व जिला प्रशासन के अधिकारियों को उचित मार्गदर्शन तथा समर्थन देकर शांतिपूर्ण तरीके से कार्यक्रम निपटाए। यह भी दीपक सिंह जी के कुशल प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण है। बुरहानपुर में साम्प्रदायिक हिंसा को तत्काल रोकने में भी दीपक सिंह जी की भूमिका प्रभावी रही। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि दीपक सिंह अपने दूरदर्शी, विनम्रता और टीम भावना के गुणों के कारण हमेशा याद रहेंगे।