छात्रों ने किया अनोखा प्रयोग, बढ़ा खुशियों का इंडेक्स
इंदौर। शहर के शासकीय होल्कर साइंस कॉलेज ने वन्यजीव संरक्षण और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को जोड़ते हुए एक अनोखा प्रयोग किया है। कॉलेज परिसर में देश का पहला ‘गिलहरी पार्क’ तैयार किया गया है। यह पार्क पूरी तरह प्राकृतिक वातावरण में विकसित किया गया है ताकि गिलहरियों को सुरक्षित और सुखद आवास मिल सके।
कॉलेज के बीज तकनीक एवं कृषि विभाग के प्रोफेसर डॉ. धर्मेंद्र जाट के मार्गदर्शन में छात्रों ने लगभग 11 महीनों की मेहनत से यह पार्क तैयार किया। छात्रों ने पहले परिसर में गिलहरियों के रहन-सहन, भोजन और व्यवहार का सर्वे किया। उसके बाद पेड़-पौधों, मिट्टी और प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हुए ऐसा वातावरण बनाया गया जहां गिलहरियां स्वच्छंद रूप से रह सकें।
इस पहल के पीछे एक दिलचस्प सर्वे भी किया गया। छात्रों से पूछा गया कि जब वे गिलहरी को उछलते-कूदते देखते हैं, तो उनके मन में क्या अनुभव होता है। अधिकांश छात्रों ने बताया कि उन्हें तनाव में कमी, उदासी से राहत, और मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है। कुछ छात्रों ने यह भी कहा कि गिलहरी को देखने से उनमें सतर्कता और समूह में काम करने की भावना बढ़ती है।
कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अनामिका जैन के अनुसार, इस अनोखे ‘गिलहरी पार्क’ से परिसर का वातावरण और भी जीवंत हो गया है। “यह छोटा-सा प्रयोग छात्रों के ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’ को बढ़ाने में बहुत कारगर साबित हो रहा है,” उन्होंने बताया।
अब कॉलेज के छात्र जब भी थकान या उदासी महसूस करते हैं, तो इस पार्क में जाकर कुछ पल बिताते हैं। गिलहरियों की चहचहाहट और उछलकूद से परिसर में एक खुशनुमा माहौल बन जाता है। साथ ही यह पहल वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भी इंदौर को एक नई पहचान दे रही है।
