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(पंकज भारती)
इंदौर। देश के 7 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (कैट) के अनुसार इस दीपावली पर मप्र ने चीन को लगभग 5 हजार रुपए का फटका दिया है। चीनी सामान के बहिष्कार के चलते वहां से आयात किया जाने वाला सजावट का सामन मप्र के बाजारों में नहीं पहुंच सका। प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर में भी 1500 करोड़ का चीनी माल नहीं आया। इसका लाभ प्रदेश के स्थानीय वेंडर्स को मिला और उनके कारोबार में तेजी दर्ज की गई। विभिन्न व्यापारिक संगठनों के अनुसार चीनी सामान का बहिष्कार आगे भी जारी रहेगा जिसके चलते स्वदेशी सामानों को नया मार्केट मिलेगा और मप्र के साथ ही देश के आर्थिक विकास में सकारात्मक ग्रोथ होगी।
इससे पहले 500 करोड़ की राखी और 100 करोड़ रुपए की गणेश मूर्तियां भी मप्र में नहीं मंगवाई गई थी
कैट के अनुसार इस वर्ष दिवाली पर देश भर में 4.25 लाख करोड़ के व्यापार होने की उम्मीद है जो अपने आप में अब तक का दिवाली बिक्री का एक रिकॉर्ड होगा। वहीं 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक के व्यापार का झटका दिवाली त्यौहार की बिक्री एवं खरीद में चीन को लगने वाला है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (कैट) के मप्र पदाधिकारियों का कहना है कि चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का जो अभियान प्रारंभ किया गया था उसे काफी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। प्रदेश और देश भर के व्यापारियों ने इस त्यौहार को बड़े पैमाने पर “अपनी दिवाली-भारतीय दिवाली” के रूप में मनाने का निर्णय लेते हुए ज़्यादा से ज़्यादा भारतीय सामान की बिक्री करने का निर्णय लिया है। इससे वोकल फॉर लोकल को भी मजबूती मिल रही है। अभियान का असर यह रहा कि दीपावली पर चाइना से आने वाला सामान जिसमें सजावट, लाइट, दीप, पटाखे, रंग आदि शामिल हैं वह आधा भी नहीं आ पाया है। इसका लाभ देसी निर्माताओं को मिल रहा है और उनकी बिक्री के साथ ही आमदनी भी बढ़ रही है। साथ ही ग्राहकों को भी बेहतर क्वालिटी का सामान मिल रहा है।
ग्राहकों की सोच भी बदली…
कैट के अनुसार गत कुछ वर्षों से देश भर के ग्राहकों का खरीद व्यवहार पूरी तरह बदला है जो इस बात को स्पष्ट करता है की ग्राहक अब बाजारों में भारतीय उत्पादों की ही मांग करते है। चीनी सामान सस्ता है-इस बात को लोग भूल कर अब चीन से बनी वस्तुओं का खुलकर बहिष्कार कर रहे हैं। यही कारण है की देश भर के बाज़ारों में अब चीन से बना दिवाली से संबंधित सामान लगभग नदारद है। इम्पोर्ट करने वाले व्यापारियों ने इस साल चीन से दिवाली से जुड़ी वस्तुओं का आयात काफी कम किया है। चीन द्वारा वर्ष 2020 में गलवान घाटी में आक्रमण के बाद देश भर में जहां व्यापारियों ने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का संकल्प लिया था।
दीपावली त्यौहार की खरीदी में विशेष रूप से, घर की सजावट के सामान, दीपावली पूजा के सामान जिसमें मिट्टी के दीये, देवता, दीवार पर लटकने वाले, हस्तशिल्प के सामान, शुभ-लाभ, ओम जैसे पारंपरिक सौभाग्य के प्रतीक, देवी लक्ष्मी एवं श्री गणेश जी की पूजा का सामान पूरी तरह से स्वदेशी है। इसके अलावा एफएमसीजी सामान, उपभोक्ता वस्तुएं, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली उपकरण और सामान, रसोई के सामान और अन्य उपकरण, उपहार की वस्तुएं, होम फर्निशिंग, कपड़ा, रेडीमेड वस्त्र, बर्तन, जूते, घड़ियां, फर्नीचर, सौंदर्य उत्पाद, लकड़ी और प्लाईवुड, पेंट और कांच आदि भी स्वदेशी ही हैं।
80 फीसदी मांग देसी झालरों की…
इलेक्ट्रानिक्स और इलेक्ट्रिक सामान के बाजार महारानी रोड पर इस बार 80 फीसद मांग देसी झालरों की है। यहां पर उपलब्ध लगभग सभी प्रकार की फैंसी झालरें स्थानीय निर्माताओं द्वारा ही तैयार की गई है। चोरल में एक ट्रस्ट द्वारा बड़े पैमाने पर महिलाओं से एलईडी लाइटों से झालर तैयार करवाए जाते है। इसके साथ ही शहर के अनेक क्षेत्रों में विद्युत झालर का निर्माण गृह उद्योग का रूप ले चुका है।
जगमगाएंगे एक करोड़ से ज्यादा दीपक…
दीपावली पर घर-आंगन को मिट्टी के दीयों से रोशन करने के लिए शहर में तो इन दीयों का निर्माण किया ही जा रहा है साथ ही आसपास के शहरों से भी तैयार दीए इंदौर में मंगवाए गए है। पिछले एक माह से कुंभकार इन दीयों के निर्माण में लगे हुए हैं। एक अनुमान के अनुसार इंदौर में एक करोड़ से ज्यादा दीए जगमगाएंगे। दीयों को 600 से 700 रुपए प्रति हजार की दर पर होलसेल में बेचे जा रहे हैं। फुटकर में यह दीये एक से डेढ़ रुपए प्रति नग के हिसाब से बेचे जा रहे हैं।
राखी ने भी किया चीन का नुकसान
कैट के आंकड़ों के अनुसार इस साल राखी पर चाइना से आने वाली 5 हजार करोड़ रुपए की राखी भारत में नहीं आई। वहीं मप्र में भी 500 करोड़ रुपए की राखियां नहीं मंगवाई गई। इससे पहले 100 करोड़ रुपए की चीन में निर्मित गणेश प्रतिमाएं भी मप्र के व्यापारियों द्वारा नहीं मंगवाई गई थी।
चीनी सामानों के बहिष्कार के चलते इस बार दीपावली पर चाइना से मप्र में आने वाले सामान में 5 हजार करोड़ रुपए की कमी आई है। इंदौर में भी चायना से आने वाला लगभग 1500 करोड़ रुपए का माल ब्रेक हुआ है। इसका फायदा लोकल वेंडर्स को मिल रहा है। बाजार में मांग भी पिछली दीपावली के मुकाबले लगभग दोगुनी है।
– रमेश गुप्ता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (कैट)
चायना से आने वाले सामान के बहिष्कार का फायदा निश्चित रूप से स्थानीय वेंडर्स को मिल रहा है। इस बार दीपावली त्योहार पर घरों की सजावट में लगने वाला 90 फीसदी सामान स्वदेशी उपयोग हो रहा है। इस बार चाइना से इलेक्ट्रॉनिक सजावट का सामान भी काफी कम मात्रा में मंगवाया गया है। घरों की सजावट लोकल वेंडर्स द्वारा बनाई गई विद्युत झालर से ही कि जा रही है। इससे पहले रक्षा बंधन पर चायना की राखियां और गणेश चतुर्थी पर गणेश प्रतिमा भी चीन से नहीं मंगवाई गई थी।
– आरजी द्विवेदी, क्षेत्रीय डायरेक्टर (मप्र) पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स
चीन से आने वाली छोटे-छोटे इलेक्ट्रिक सामान इस बार दीपावली पर नहीं आए, इसके चलते ग्राहकों ने स्थानीय निर्माताओं द्वारा तैयार प्रोडक्ट को खरीदा जिससे स्थानीय वेंडर्स का कारोबार काफी बेहतर रहा। इंदौर में ही कई छोटे-छोटे निर्माता मौजूद हैं जो सजावटी विद्युत झालर का निर्माण गृह उद्योग के रूप में कर रहे हैं। इन छोटे उद्योगों के लिए यह दीपावली काफी बेहतर साबित हो रही है।
– ओमप्रकाश गुप्ता, अध्यक्ष, मप्र इलेक्ट्रिक मर्चेन्ट्स एंड कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन