इंदौर।प्रवासी सम्मेलन में अधिकारियों के बेहतर प्रयास के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के बीच सम्मेलन स्थल पर आए अतिथियों को अचानक अव्यवस्था का शिकार होना पड़ा परंतु हर इस दौरान अपने सारे प्रयास के बाद भी मुख्यमंत्री ने हुई अवस्था को स्वीकार करते हुए जिस तरीके से क्षमा मांगी वह काबिले तारीफ है वह चाहते तो शायद छोटी घटना कहकर नजरअंदाज भी कर सकते थे। फिर भी उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर क्षमा मांगी और कहा कि दिल बड़ा है परंतु हाल छोटा पड़ गया। इधर सबसे बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि यहां पर पहुंचे इंदौर के भाजपा दिग्गज नेता व्यवस्था में मदद की बजाए आगे लगे सोफों पर इस तरह धंस गए कि उन्होंने इस अवस्था को अधिकारियों के माथे  ही छोड़ दिया ।अधिकांश नेता व्यवस्था को सुधार की वजह सोफे पर बैठ कर अपनी तस्वीर  सोशल मीडिया पर अपनी वाहवाही लूटने के प्रयास में लगे रहे । फिर ऐसे में किसी भी कार्यक्रम की सफलता का श्रेय अगर इंदौर में पदस्थ अधिकारियों को नहीं दिया जाए तो फिर किसे दिया जाए।

क्षमा वीरस्य भूषणम धर्म हो या कर्म.. राजा हो या रंक। अगर व्यक्ति के मन क्षमा का भाव होता है तो वो व्यक्ति सर्वत्र ऊँचा हो जाता है। ऐसा ही सहदय प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने दिखाया है प्रवासी सम्मेलन में.।

उक्त सम्मलेन में हुई अव्यवस्था से उन्होंने जहां सार्वजनिक माफी मांगी। वही देश की महामहिम राष्ट्रपति दोपदी मुर्मू के समक्ष भी प्रवासी यों से माफी मांग कर अपने आप को उन्होंने विराट व्यक्तिव  का धनी साबित कर दिया।

प्रवासी सम्मलेन में देश दुनिया के लोग इंदौर आये थे पिछले 2 माह से मुख्यमंत्री सहित सरकारी अमला इस आयोजन में पूरी शक्ति के साथ से जुटा था। इसको लेकर विदेश मंत्रालय भी पूरी नज़र रखे हुए था ।कार्यक्रम में 9 तारीख को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थति में सम्मेलन की शुरवात हुई प्रधानमंत्री ने विशिष्ठ लोगो के साथ भोजन भी किया व इंदौर शहर की दिल खोलकर तारीफ भी की।लेकिन तमाम प्रयास के बाद इस आयोजन में हुई अव्यवस्था से कुछ प्रवासियों को जगह नही मिल पाई वे बिना कार्यक्रम में शरीक हुए कार्य में से निकल गए। उसका कारण ये रहा कि जो लोग अपेक्षित नहीं थे वे भी प्रवेश पा गए और कार्यक्रम  स्थल पर कब्जा जमा लिया और प्रवासियों को जगह नहीं मिली। वही प्रवेश को लेकर भी विवाद हो गया । जब इसकी नाराजगी शोशल मीडिया पर जाहिर हुई तो हड़कम्प मच गया और कार्यक्रम के विरोध के स्वर उठ गए। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को मिली तो उन्होंने तुरंत माफी  मांगी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी कार्यक्रम सिर्फ प्रवासी भारतीयों का था लेकिन इसमें पूरी तरह से भाजपा के कर्ताधर्ता व उनके समर्थक कब्जा जमा गए। मुख्यमंत्री की माफी का असर कुछ हद तक पड़ा और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के समक्ष भी उन्होंने प्रवासी भारतीयों से माफी मांगी। मुख्यमंत्री की मेहनत पर स्थानीय भाजपाइयों ने बट्टा लगाने की कोशिश की लेकिन शिवराजसिंह चौहान ने अपना विराट व्यक्तित्व दिखाते हुए माफी मांगी तो वे अप्रवासी के समक्ष और बड़े हो गए। उक्त कार्यक्रम पूरी तरह से प्रदेश को विकास मॉडल बनाने का प्रयास था लेकिन भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं ने इसे भाजपा का निजी कार्यक्रम बना दिया और शोसल मीडिया पर ऐसे सक्रिय हुए मानो इस विकास मॉडल को वही अंजाम दे रहे है लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी सरल राजनीति से फिर सबका दिल जीता और अपने कद को माफी मांगकर और बड़ा कर लिया लेकिन भाजपाइयों के लिए सीख है कि हर आयोजन को अपने संगठन का कार्यक्रम ना समझे। सरकार की रीतिनीति को भी समझे।