स्टेट प्रेस क्लब के  कार्यक्रम में जगतगुरुश्री वसंत विजयानंद गिरी जी महाराज का यादगार सत्र

इंदौर। “संतों को वाणी पर संयम रखते हुए दूसरे संतों की निंदा से बचना चाहिए। उन्हें आदर्श मानने वाले और उनको फॉलो करने वाले लोगों की संख्या बहुत बड़ी होती है जो देखते हैं कि हमारे महाराज वही कार्य कर रहे हैं जो करने से वे दूसरों को रोकते हैं।” ये बात जगतगुरु श्री वसंत विजयानन्द गिरी जी महाराज ने स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित रूबरू कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।

विज्ञान सम्मत हैं हमारी प्राचीन परंपराएं : श्री वसन्त विजय जी महाराज ने कहा कि अनेक भारतीय प्राचीन परंपराएं आज वैज्ञानिक शोध के पश्चात विज्ञान सम्मत साबित हो रही हैं। जैसे घर के पीछे कोयला बांधना, मंदिर में नहाकर जाना, आदि के फायदे अब वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं। महाराजश्री ने अपने द्वारा किए बताए जाने वाले उपायों को भी काल गणना, राशि सिद्धांत, वास्तु, रत्न विज्ञान, होरालॉजी,साईनोलॉजी आदि के शोध के उपरांत विद्युद्धतः कल्याणार्थ बताया। उन्होंने कहा कि हम विराट प्रकृति का बेहद सूक्ष्म अंश हैं तथा हमें प्रयास करना चाहिए कि हम शक्तिशाली प्राकृतिक शक्ति से सर्वाधिक सहयोग लेना चाहिए।

सिद्धांतों की विकृति है सनातन के सामने चुनौती : श्री वसंत विजयानन्द गिरी जी महाराज ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में हमारे प्राचीन सिद्धातों, त्यौहारों इत्यादि का उपहास उड़ाना आज के युग का दुखद पहलू है। लोग बिना अर्थ जाने अपने बच्चों के जिगर, श्लेष्मा आदि की तरह विचित्र नाम रखने लगे हैं, जबकि श्लेष्मा इकलौता अर्थ है नाक से निकलने वाला पानी। कई दिनों तक एक ही जींस पैंट पहने रहने की युवाओं की प्रवृत्ति को भी उन्होंने दैवीय चुम्बकीय शक्ति से ऊर्जा प्राप्त करने से रोकने वाला बताया। लेकिन उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि सनातन पर हर युग में हमले होते रहे हैं और सनातन धर्म वट वृक्ष की तरह अविचल रहा है।

ओंकारेश्वर का साधना यात्रा में विशिष्ट स्थान – अपने बचपन की दर्दनाक घटनाओं के बाद कर्म सिद्धांत को समझने की जिज्ञासा उत्पन्न होने और उसके बाद माँ पद्मावती की प्रेरणा से धर्म और परमार्थ के लिए जीवन समर्पित करने की दास्तां जब उन्होंने सुनाई तो दर्शक आह्लादित हो उठे। अपने को पूर्व जन्मों का शिवभक्त बताते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह ओंकारेश्वर के निकट एक आयोजन में उन्हें सप्तरंगी प्रकाश दिखने जैसी विचित्र अनुभूतियां हुईं। शिव कृपा से उन्होंने पुनः शिव साधना एवं रुद्र मंत्र की साधना की।

अच्छे जीवन के लिए व्यस्थित जीवन चर्या ज़रूरी – एक सवाल के जवाब में महाराजश्री ने कहा कि अनावश्यक दिन रात लक्ष्यहीन दौड़ते रहना ठीक नहीं। अंतिम श्वास पर अहसास होता है कि जिनके लिए जीवन भर खटते रहे, उन्हें हमारा ध्यान ही नहीं था। सुखी जीवन के लिए लाइफ़ स्टाइल को बिगड़ने न देना अनिवार्य है। रात ग्यारह बजे से सुबह छह बजे तक सोने से ही काफी समस्याएं दूर हो जाएंगी। खुद की खुद के प्रति स्वीकृति हमारी उलझनों को कम करेगी।

प्रत्यक्ष चमत्कार से साधना के दर्शन हुए, पत्रकारों के लिए विशेष टिप्स दिए – पूज्य श्री वसंत विजय जी महाराज ने सभागार में उपस्थित पत्रकारों में से कुछ के जीवन की बातें दावे के साथ बताकर चमत्कृत भी किया और अपनी साधना का बल भी दिखाया। उन्होंने दिवंगत वरिष्ठ पत्रकार श्री महेंद्र बाफना को याद करते हुए उनकी गुरु भक्ति बताते हुए श्रद्धांजलि दी। पत्रकारिता को उन्होंने एक विशिष्ट व्यवसाय बताया जिसमें जीवकोपार्जन के साथ नाम या प्रसिद्धि भी मिलती है। पत्रकारों को उन्होंने राय दी कि घर में प्रवेश करने पर सुगंध का एहसास हो ऐसा कोई पदार्थ जैसे इलायची, केसर आदि रखें। इससे बुध गृह की प्रसन्नता के साथ नींद अच्छी आएगी। ध्यान रखें कि बड़े लेखकों की सर्वश्रेष्ठ कृतियां उन्होंने सब कॉन्शस माइंड में ही यूनिवर्सल एनर्जी से प्राप्त कर रची हैं।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार खारीवाल ने पूज्य महाराजश्री एवं आयोजन समिति के पदाधिकारियों श्री ललित शर्मा, श्री संकेश जैन, श्री रीतेश जैन, श्री हर्ष मेहता, श्री धर्मेंद्र चौधरी आदि का सम्मान किया।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्री आलोक बाजपेयी ने पूज्य श्री वसंत विजयानन्द गिरी जी महाराज से विविधरंगी प्रश्न कर प्रभावित किया। श्री दीपक माहेश्वरी, श्री रवि चावला एवं श्री घनश्याम वैष्णव ने महाराजश्री को स्मृति चिन्ह प्रदान किए जबकि श्री कुमार लाहोटी ने उन्हें कैरीकेचर भेंट किया। श्री नितिन माहेश्वरी ने प्रदेश टुडे समूह द्वारा आयोजित गरबा महोत्सव के पोस्टर का विमोचन भी महाराजश्री से करवाया। आभार प्रदर्शन मुख्य महासचिव श्री नवनीत शुक्ला ने किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में महाराजश्री ने सभी पत्रकारों को आशीर्वाद एवं भेंट प्रदान की।