इंदौर। हिन्दी साहित्य के जाने माने , साहित्यकार,व्यास सम्मान’ से विभूषित देश के जाने-माने ऐतिहासिक उपन्यासकार डा शरद पगारे अब हमारे बीच नहीं रहे।
शरद पगारे जी ने इतिहास के अँधेरे में खोये हुए चरित्रों को साहित्य के माध्यम से सामने लाकर ऐतिहासिक उपन्यासों के क्षेत्र में लीक से हटकर लेखन किया है और एक नयी ज़मीन तैयार की है।
खण्डवा मध्य प्रदेश में जन्मे शरद पगारे इतिहास में एम.ए., पीएच.डी. हैं। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में इतिहास के प्रोफ़ेसर के रूप में तीन से अधिक दशकों तक अध्यापन रिसर्च के साथ ही ऐतिहासिक एवं साहित्यिक कथाओं व उपन्यासों का नियमित लेखन किया। वर्ष 1987-88 में रोटरी इंटरनेशनल इल्योंनाय अमेरिका द्वारा विश्व से दस चयनित प्रोफेसरों में डॉ. शरद पगारे को विज़िटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय बैंकॉक, थाईलैंड में अध्यापन हेतु भेजा गया था। भारत लौटने पर अध्यापन के दौरान ही इतिहास के अज्ञात, अपरिचित पात्रों / पात्रियों की रिसर्च द्वारा खोज कर उन पर ऐतिहासिक उपन्यास लिखना आरम्भ किया।