इंदौर, विकाससिंह राठौर। इंदौर में जनवरी माह में हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट  के दौरान कार और बसें उपलब्ध करवाने वाली ट्रेवल कंपनियों को चार माह बाद भी पूरा पैसा नहीं मिल पाया है। इस मामले में मुख्य ट्रेवल कंपनी और पर्यटन विभाग आमने-सामने हैं।

अग्निबाण में छपी खबर  के अनुसार ट्रेवल कंपनी की ओर से पर्यटन विभाग पर आरोप लगाया गया है कि विभाग ने समय पर गाडिय़ां उपलब्ध करवाने के लिए टेंडर शर्तों के अतिरिक्त गाडिय़ों की भीख मांगी, जिन्हें हमने उपलब्ध करवाया, लेकिन अब भुगतान के समय मुकर रहा है। वहीं पर्यटन विभाग का कहना है कि ट्रेवल कंपनी ने फर्जी बिल लगाए हैं और कारों के नाम पर मोटरसाइकिल के नंबर लिखे बिल जमा कर डाले। इस पूरे विवाद में मुख्य ट्रेवल कंपनी को गाडिय़ां उपलब्ध करवाने वाले इंदौर और भोपाल के ट्रेवल्स संचालकों का 1 करोड़ से ज्यादा का भुगतान भी अटक गया, जिसे लेकर संचालकों ने कलेक्टर और पुलिस से ट्रेवल कंपनी की शिकायत भी की है।

उल्लेखनीय है कि शहर में 8 से 10 जनवरी के बीच प्रवासी भारतीय सम्मेलन और 11 व 12 जनवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया गया था। प्रवासी भारतीय सम्मेलन की बागडोर विदेश मंत्रालय के हाथ में थी और स्थानीय स्तर पर पर्यटन विभाग व्यवस्था संभाल रहा था। इन दोनों ही आयोजनों में देश-विदेश से आने वाले मेहमानों और मेजबानों के लिए वाहनों की व्यवस्था भी पर्यटन विभाग के मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (एमपीएसटीसी) द्वारा की गई थी। इसके लिए एमपीएसटीसी ने टेंडर जारी करते हुए वाहन व्यवस्था के लिए कंपनियों को बुलवाया था। टेंडर प्रक्रिया के तहत गुजरात की योगी एज्यूट्रांजिट प्रा.लि. कंपनी को यह काम दिया गया था। कंपनी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विजय कावले का आरोप है कि एमपीएसटीसी ने जब टेंडर निकाला था तो इसमें 7 से 11 जनवरी के बीच 900 गाडिय़ां उपलब्ध करवाने की बात थी, जिसमें लक्जरी बसों से लेकर लक्जरी और सामान्य कारें तक शामिल थीं, लेकिन इसमें कोई कंपनी नहीं आई। इस पर दोबारा टेंडर जारी किया। इस बार गाडिय़ों की संख्या आधी से भी कम करते हुए 428 गाडिय़ों की मांग रखी गई, जिसके लिए 2 करोड़ की राशि तय की गई, लेकिन इसमें भी किसी और कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद पर्यटन विभाग ने यह काम हमारी कंपनी को दे दिया, लेकिन एग्रीमेंट में पहले हुई बातचीत से बिलकुल अलग शर्तें रखी गई थीं। इस पर हमने काम करने से इनकार कर दिया।

पहले पर्यटन विभाग के अधिकारी गिड़गिड़ाए, अब ट्रेवल कंपनियां

विजय कावले ने बताया कि इनकार किए जाने पर 18 दिसंबर को उनके पास पर्यटन विभाग के अधिकारियों का फोन आया और उन्होंने भीख मांगते हुए कहा कि आपको गाड़ी की व्यवस्था करना होगी, हमारी इज्जत का सवाल है। हमने सोचा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आ रहे हैं, बड़ा आयोजन है तो हमें मदद करना चाहिए और हमने हां कह दी। हमें 2 जनवरी को मीटिंग के लिए भोपाल बुलाकर कहा कि विदेश मंत्रालय से मेल आया है, 8 से 10 जनवरी का आयोजन है तो आप इसके हिसाब से गाड़ी की व्यवस्था करें। वहीं 3 जनवरी को कहते हैं कि गेस्ट तो कल से ही आने लगेंगे तो 5 जनवरी से ही गाड़ी की व्यवस्था करें। हमारी मांग पर 4 जनवरी को हमें एडिशनल वर्कऑर्डर और अतिरिक्त गाडिय़ां का 70 प्रतिशत एडवांस दिया। नए वर्कऑर्डर में 5, 6 और 12, 13 जनवरी को गाडिय़ों की व्यवस्था को एक दिन पहले जोड़ा गया।

506 गाडिय़ों का बिल दिया, विभाग ने कहा- सिर्फ 294 गाडिय़ां मिलीं

कावले ने आरोप लगाया कि हमने पर्यटन विभाग की मांग पर 5 से 12 जनवरी के बीच गाडिय़ां उपलब्ध करवाने के लिए दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद से भी गाडिय़ां बुलवाईं। कार्यक्रम के बाद कुल 506 गाडिय़ों का बिल जो 4.51 करोड़ का था, सौंपा तो पर्यटन विभाग ने सिर्फ 294 गाडिय़ां मिलने की बात कहते हुए केवल 2.65 करोड़ का बिल अप्रूव किया। जबकि हमने इनमें से 375 गाडिय़ों की जीपीएस रिपोर्ट और बाहर से बुलवाई गई 64 गाडिय़ों की टोल रसीदें तक जमा की हैं। शेष बसें और लोकल गाडिय़ों पर जीपीएस नहीं लगाए थे। अब अधिकारी कह रहे हैं कि हमें सिर्फ 294 गाडिय़ां ही सौंपी गईं, जबकि सभी गाडिय़ों का इस्तेमाल कार्यक्रम के दौरान हुआ है। हमने कार्यक्रम के दौरान भी कहा कि 4 के बजाय 8 दिन गाडिय़ां लग रही हैं तो बिल 2 के बजाय 4 करोड़ का होगा। अगर आपका बजट नहीं है तो 10 को ही गाडिय़ां छोड़ दो, लेकिन गाडिय़ां भी नहीं छोड़ी गईं।

भोपाल में बैठक में आई हाथापाई की नौबत

योगी एज्यूट्रांजिट कंपनी द्वारा डिजायर से लेकर इनोवा सहित अन्य गाडिय़ां इंदौर और भोपाल के ही ट्रेवल ऑपरेटर्स से ली गई थीं। पर्यटन विभाग द्वारा 506 के बजाय 294 गाडिय़ों का ही उपयोग माने जाने और उनका ही बिल अप्रूव होने पर कंपनी ने इंदौर-भोपाल के ट्रेवल ऑपरेटर्स का पैसा भी रोक लिया है। इसे लेकर 4 मई को भोपाल में बैठक भी आयोजित हुई, जिसमें पर्यटन विभाग ने इंदौर, भोपाल सहित अन्य शहरों के ट्रेवल ऑपरेटर्स से कहा कि हमने आपसे गाडिय़ां नहीं ली थीं। आपने कंपनी को गाडिय़ां दी थीं तो आप उनसे बात कीजिए। वहीं कंपनी ने कहा कि यदि पर्यटन विभाग आपकी गाडिय़ां मिलने की बात स्वीकार ही नहीं कर रहा है तो हम इसका भुगतान नहीं कर पाएंगे। इस पर इंदौर के ट्रेवल ऑपरेटर्स ने दो टूक कहा कि हमने आपको जो गाडिय़ां सौंपी थी हमें उनका पैसा आपसे चाहिए। बैठक में हाथापाई की नौबत भी आई।

पुलिस से की शिकायत

कंपनी को गाडिय़ां दिए जाने के चार माह बाद भी पूरा पैसा न मिलने से परेशान इंदौर के ट्रेवल्स संचालकों ने इसकी शिकायत कलेक्टर और पुलिस से की है। शिकायत करने वालों में श्रद्धा और इम्पैक्ट ट्रेवल्स के संचालक शामिल हैं।

मोटरसाइकिल को कार बताकर लगाया, मांग रहे हैं पैसा

हमें जितनी गाडिय़ां सौंपी गई थीं हमारे पास उनकी सूची है। उसके आधार पर ही हमने बिल अप्रूव किया है। कंपनी की ओर से फर्जी बिल लगाए गए हैं। हमने जब उनकी जांच की तो अब तक 7 से 8 ऐसी गाडिय़ां सामने आ चुकी हैं, जो दोपहिया या ट्रैक्टर हैं, जिन्हें कार बताकर कंपनी पैसा मांग रही है। हमने कंपनी को सभी वाहनों में जीपीएस लगाने और उनकी मॉनीटरिंग के लिए कार्यक्रम स्थल पर कम्प्यूटर मॉनीटर लगाने के निर्देश दिए थे, जो कंपनी ने नहीं लगाए। अब किसी भी गाड़ी को आप कार्यक्रम में इस्तेमाल होना बता रहे हैं तो उसके इस्तेमाल के प्रमाण भी आपको ही देना होंगे।

– अजीत भास्कर, जीएम टूर एंड ट्रेवल्स, एमपीएसटीसी

 

पर्यटन विभाग के खिलाफ आर्बिट्रेशन में जाएंगे

पर्यटन विभाग ने बिना किसी प्लानिंग के गाडिय़ों का टेंडर निकाला। जब किसी ने रुचि नहीं दिखाई तो हमसे भीख मांगी। हमने मदद की, लेकिन अब अधिकारी गाडिय़ां मिलने की बात से ही मुकर रहे हैं। इसके खिलाफ हम आर्बिट्रेशन में जाएंगे।

– विजय कावले, प्रोजेक्ट डायर